देश को बड़ी उम्मीदें थी। चैंपियंस ट्रॉफी में भारत-पाक मैच का फाइनल। सबकी निगाहें इस मैच पर थी। पूरा देश बस यही सोच रहा था कि भारत एक बार फिर से चैंपियंस ट्रॉफी का विजेता बनेगा। लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। पाकिस्तान के 338 रनों के लक्ष्य के सामने भारतीय बल्लेबाज धराशाही हो गए।
भारतीय टीम के फैंस नाराज दिखे, उनकों काफी अफसोस हो रहा था। इंडिया के इस मैच को हारने पर काफी दुख हो रहा था। तो वहीं दूसरी ओर पाक की जीत पर कश्मीर में जश्न मनाया जा रहा था। कश्मीर ही नहीं देश के बहुत से प्रदेश और जिलों में पाक की इस जीत पर जश्न मनाया गया।
जैसे ही पाक ने चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मैच जीता, या जीत की औपचारिकता ही बची थी पटाखों की गूंज सुनाई देने लगी थी। कश्मीर की बात करें तो पाकिस्तानी टीम की जीत की खुशी में श्रीनगर के शहरों में पटाखे फोड़े जाने की भी खबर है । कश्मीरी महिलाएं भी सड़क पर आकर पाकिस्तान की जीत पर गाने गा-गाकर खुशी मना रही थीं।
कश्मीर के गावों के जिन लोगों के पास पटाखे नहीं थे उन्होंने ढोल पीट-पीटकर खुशी मनाई थी। हद है ये कैसे लोग है। और भारत में क्या कर रहें हैं ? जिस देश में रहते हो उसी से इतनी नफ़रत। जिसका खाते हो उसी से इतनी ईर्ष्या। कभी सोचा है कि देश ने तुम्हें क्या दिया है।
जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने तो हद कर दी। चैंपियंस ट्राफी के फाइनल मैच में भारत की हार पर मीरवाइज़ उमर फारूक़ ने पाकिस्तान को बधाई देते हुए जमकर जश्न मनाया। हुर्रियत ने भारत की हार पर पटाखे फोड़े। मीरवाइज ने ट्वीट ने ट्वीट किया कि ऐसा लगता है जैसे ईद पहले आ गई हो। कभी सोचा है कि जहां रहते हो किस देश का हिस्सा है। इतना ही प्यार है पाकिस्तान से तो वहां जाकर रहो।
फिर देखों वहां की आवाम किस तरह का व्यवहार करती है तुम्हारे साथ। कुछ तो शर्म की होती। चलों घाटी में अलगाववादियों ने जश्न मनाया मान लेतें हैं, वो खुद को इस देश का नहीं मानते। लेकिन अफ़सोस उस समय हुआ जब देश के अन्य हिस्सों में भी पटाखे फोड़े गए। अरे चुल्लू भर पानी में डूब मरते। ऐसा करते हुए जरा सा भी देश का ख्याल नहीं आया। हा आएगा भी कैसे? जिस्म यहां और रूह पाक में। खाना यहां और बजाना पाक का। जो अपने मुल्क के प्रति वफ़ादार नही हो सकता वो किसी इंसान के प्रति क्या होगा? हम फाइनल हार गए थे, लेकिन हम पाकिस्तान की टीम से हमेशा जीतते आए हैं। तोड़ा निराशा वहां भी हुई जब फैंस खिलाडियों के पोस्टर जलाने लगे।
हार के दुख में विरोध प्रदर्शन करने लगे। हमें धैर्य बनाकर रखना चाहिए। क्रिकेट अनिश्चिताओं का खेल है। हमारे इन्हीं खिलाडियों ने विश्व कप भी दिलाया है। फाइनल मैच में उनका दिन नही था। आप सभी क्रिकेट फैंस के दुख के समझा जा सकता है। पर उन खिलाडियों को भी पाकिस्तानी टीम से हारने का अफ़सोस जरूर हुआ होगा। टीवी फोड़ना, पत्थर फेकना, गाली देना, पोस्टर जलाना, हम सबको शोभा नहीं देता है।
ये सब पड़ोसी देश को ही पसंद है। ये उनका काम है। भारतीय टीम ने तो अच्छा मुकाम हासिल किया है। हम सब मैच जीतते हैं तो एक दो तो हारेगें भी। हमें अपने आप को बड़ा खुशनसीब वाला समझना चाहिए कि हम ऐसे लोकतंत्र वाले देश में है, जहां हमें अपनी बात रखने की पूरी आजादी मिलती है।
और उनको भी अपने आप को खुशनसीब वाला समझना चाहिए जो खाते तो इस देश का और बजाते है पड़ोसी का। जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद करने का काम करते हैं।
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