माँ शब्द जिसकों सिर्फ़ बोलने से ही हृदय में प्यार और ख़ुशी की लहर आ जाती है. ईश्वर को हमने कभी नहीं देखा वह सिर्फ एक कल्पना मात्र है, माँ के चरणों में ही सारे भगवान हैं , माँ का दर्जा ईश्वर से कई गुना बढ़कर है.
बच्चों की पहली पाठशाला माँ ही होती हैं. अनेक कठिनाइयों को सहकर अपने बच्चों को पालती पोषती हैं. माँ खुद भूंखी रह सकती हैं लेकिन अपने बच्चों का पेट भरने में कोई कसर नही छोड़ती हैं. ये कहना है बीजेपी के नेता प्रदीप श्रीवास्तव का. मातृ दिवस के अवसर पर प्रदीप ने माँ के बलिदान और त्याग की बात बताई. उन्होने बताया कि उनकी माँ आगनवाड़ी में काम करती थी. शुरू में उनका वेतन करीब 350 रूपए था.
पिता जी बीमारी की वजह से नौकरी नही कर पा रहे थे. घर का खर्च चलाना मुश्किल था. इन मुश्किलों का सामना करते हुए माँ ने हम दो भाईयों और बहन की शिक्षा में कोई कसर नही छोड़ी. सभी को एम.ए, बी. ए तक पढ़ाया. पिता जी के इलाज के साथ साथ उनका पूरा ख्याल रखा.
बड़े संघर्षो के बाद आज माता जी बाल विकास पुष्टाहार में सुपर वाइजर के पद पर हैं. परिवार का ख्याल रखने के अलावा भी माता जी ने हमेशा गरीबों की मद्द करने की है. गरीब बच्चों को पढ़ाने का काम किया है. माता जी हमेशा कहती हैं कि अगर जीवन में रोशनी लानी है तो शिक्षा बहुत जरूरी है. शिक्षा का उजियाला भविष्य को बेहतर बना सकता है.
बीजेपी नेता ने कहा कि आज मै जो कुछ भी हूं, सब माँ के त्याग और बलिदान का नतीजा है. माँ के कर्ज को मैं क्या पूरा संसार नहीं उतार सकता. बीजेपी नेता प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि मां के बलिदान की बात शब्दों में बयां नही की जा सकती, पर इतना जरूर कहूंगा , हर घर में माँ की पूजा हो, ऐसा संकल्प उठाना है, दुनिया की हर माँ के चरणों में मुझे अपना शीश झुकाना है.
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