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देशभक्त कौन ?

एक सोंच
एक सोंच
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देश में चुनाव आते ही नेताओं में देश भक्ति जाग उठती है. चुनावी मौसम से सभी नेता देश भक्त हो जाते है. ये हर चीज को लेकर देश भक्ति की दुहाई देने लगते हैं. जैसे देश भक्ति के मानप का पैमाना यही तय करते है. बाकी देश के लोगों में देश भक्ति की भावना न हो जैसे.

बिहार चुनाव में लगातार राजनेताओं की एक दूसरे पर बयानबाजी जारी है.  बीफ के मुद्दे के बाद अब देश के माहौल को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. सम्मान लौटाए जा रहे हैं. देश में असहिष्णुता का माहौल बताया जा रहा है.

राजनेताओं के शब्दों के बाण एक दूसरे पर प्रतिघात कर रहे है. हाल में असहिष्णुता को लेकर फिल्म अभिनेता शाहरूख खान का बयान ने बीजेपी नेताओं में खलबली मचाकर रख दी. किसी ने शाहरूख को पाक का ऐजेंट बताया तो किसी ने कह दिया कि वह रहते यहां पर है और उनका मन पाकिस्तान में है. तो किसी ने उनकी तुलना हाफिज सईद से कर डाली. जब कहीं विरोध होगा तो बचाव में भी लोग जरूर आएगें. कांग्रेस के कुछ नेता शाहरूख के बचाव में आए तो लालू यादव भी पीछे कैसे रहते.

उन्होने बीजेपी और आरएसएस को देश विरोधी बताते हुए देशद्रोही कहा. ये नेता देशभक्ति की परिभाषा जनता को बतलाए. इनके हिसाब से देशद्रोही कौन है.  और देशभक्ति किसे कहते हैं. देशभक्ति के लेकर अभी मुम्बई में शिवसेना ने सुधीर कुलकर्णी के मुखपर कालिख इसलिए पोती थी कि पाक के पूर्व विदेश मंत्री कसूरी के पुस्तक के विवेचन में जा रहे थे. साथ ही कहा कि पाक का कोई भी कार्यक्रम महाराष्ट्र में नही होने देगे. ये कहकर उन्होने अपनी देशभक्ति का परिचय दिया. ये खुद शिवसेना का कहना था.

ये नेता लोग देश को लूटने में कोई कसर नही छोड़ते है. और देशभक्ति की बात करते हैं. लालू यादव चारा घोटाले में जेल गए. और देश भक्ति और देश द्रोही की बात करते हैं. देश को लूट कर खा जाओ. और देशभक्त कहलाओ. कांग्रेंस की सरकार में घोटाले के ऊपर घोटाले किए गए. जिनके नाम लिखूं तो शायद ये लेख घोटालों से भर जाए. जिसने देश का कितना नुकसान किया और ये देश भक्त हो गए. देशभक्ति की परिभाषा देने लगे.

देश के बहुत सारे नेताओं का काला धन विदेशों में जमा है. जो देश कि सम्पत्ति है, जिससे देश के विकास की गाड़ी धीमी हो गई है. वो कोई मायने नही रखता. बस देशभक्ति का राग गाने लगते हैं.  बीजेपी के नेताओं के खिलाफ भी बहुत सारे मामले हैं. वो भी देश भक्त है. भारत को अपनी मां कहते है. और उसी को लूटने में कोई कसर नही छोड़ते हैं. देश प्रेम इन नेताओं का सिर्फ चुनाव के समय जगता है. गाड़ियों में लाउडस्पीकर लगवाकर देशभक्ति के गाने बजाते रहते है. अगर देश का इतना ही ख्याल था तो लूटकर इतनी सम्पत्ति क्यों बना ली.

आजादी के 68 सालों के बावजूद आज भी हम विकासशील देशों में रेंग रहे हैं. विकसित होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.  जिसे जैसे मौका मिला देश को लूटता रहा. किसी के असहिष्णुता के बयान को लेकर उसे देशद्रोही बताना एक हंसी जैसा लगता है. अभिनेता शाहरूख के अलावा भी तो बहुत लोगों ने यही बयान दिया है. वो भी देश द्रोही है. मै कोई शाहरूख खान का प्रसंशक नही हूं. लेकिन इन नेताओं से देशप्रेम और देशभक्ति के बारे मे जरूर पूछना चाहूंगा.

जिन्होने सात चूहे खाकर, बिल्ली चली हज को करने वाला काम किया है. देश भक्ति को जानना है तो सीमा पर खड़े उन सेना के जवानों से पूछों. जिनके लिए दिन-रात, गर्मी-सर्दी, मे शरहद पर घर परिवार से दूर तैनात रहते है. अपनी जान की बाजी लगाकर. नेताओं की तरह नही सत्ता की गद्दी पर बैठकर लूटने का. इस तरह से एक दूसरे को देश द्रोही और अपने को देशभक्त बताना कहा तक उचित है.

क्या सिर्फ देश के खिलाफ बयान देना ही देशद्रोह है, क्या देश को लूटना देश द्रोह की संज्ञा में नही आना चाहिए. जिससे करोड़ों देशवासियों का कल्याण होता उसी को लूटकर अपना कल्याण किया. ऐसे लोग जो देशप्रेम की दुहाई देते है उनसे पूछंना चाहता हूं देशभक्तकौन?

रवि श्रीवास्तव

लेखक, कवि, व्यंगकार

ravi21dec1987@gmail.com

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