बच्चों को भगवान का एक रूप माना जाता है. किसी देश का भविष्य आगे बढ़कर बच्चे ही बनाते हैं. मध्यप्रदेश में मंत्री का एक भिखारी बच्चे को लात मारना देश के लिए काफी शर्मसार बात है. बीजेपी सरकार में पशुपालन मंत्री कुसुम महदले ने एक छोटे से बालक को इसलिए लात मारकर हटा दिया. क्योंकि वह बालक रास्ते में आकर मद्द के लिए एक रूपए मांग रहा था.
एक महिला होकर आप ने इतना बड़ा कदम उठाया. आप भी किसी की मां होगीं. एक मां होकर दूसरे के बच्चे को लात से मारना कहा तक उचित है. मां शब्द ही अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. उसे बताने की जरूरत नही है. महिलाओं को उनके सहज स्वभाव और दया के लिए देवी का रूप माना जाता है. इतनी नफरत है गरीबों के बच्चों से. अपने ओहदे का भी लाज नही किया.
इतने बड़े ओहदे पर बैठकर ऐसी हरकत करना शोभा नही देता. वो बच्चा आप के पास मदद के लिए आया था तो लात मारने की जगह उससे पूंछ सकती थी. आखिर इतनी क्या लाचारी है. जो पढ़ने-लिखने की उम्र में सड़कों पर भटककर भीख मांग रहे हो. ये उसकी लाचारी है, या किसी गिरोह का काम जो उससे भीख मंगवा रहा है. आप ने तो लात मारा ही और आप के साथ चल रहे सुरक्षा के जवान ने उसे फेंक दिया.
सरकार की तो किरकिरी करा दी आप ने. सरकार शिक्षा को लेकर तो बड़े बड़े दावे करती है. लेकिन जिसकी जमीनी हकीकत कुछ और है. जनता ने लात अपने बच्चों को लात मरवाने के लिए आप को नही चुना है. उनका भविष्य अच्छे से बनाने के लिए चुना है. देश में हर चौराहे पर भीख मांगते हुए बच्चे देखने को मिल जाएगे. जिनपर आगे चलकर देश का भविष्य निर्भर होता है.
उनको लेकर सरकार को भी कुछ नही दिखता है. प्रशासन भी चुप्पी साधे बैठे रहती है. देश में लगभग हजारों की संख्या में सड़कों पर मासूम बच्चों को भीख मांगते देखा जाता है. सिर्फ बड़े वादे करने से काम नही चलने वाला है. पूरा कर के दिखाना चाहिए. हो सकता है इन मासूमों को जबरजस्ती भीख मांगने पर मजबूर किया जा रहा हो. इनकी परिस्थिति तो देखनी ही चाहिए. घर वालों ने मजबूर किया है य किसी गिरोह ने. कही कोई घटना हो जाए तो वाह वाही लूटने सभी नेता आते हैं. सड़को से गुजरते वक्त क्या इनकी आखें बंद होती हैं.
उन मासूमों का दर्द नही दिखाई पड़ता है. कहने को तो बहुत से एनजीओ भी है, जो इस पर कार्य कर रहे हैं. इसके बावजूद मासूम बच्चों के भीख मांगने का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है. पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान के कार्यक्रम में गई मध्यप्रदेश की मंत्री कुसुम महदले ने तो ठान लिया की गंदगी के साथ गरीबों के बच्चों को साफ करो. तभी तो उस मासूम को लात से मारने में लगी पड़ी रही. इतनी घृणा न करों इन गरीबों से मोहतरमा. इन्ही के वोटों की बदौलत इस ओहदे का सफर तय किया है. इतनी vvip हो गई हैं, कि मद्द मांगने वाले गरीबों को लात मारना शुरू कर देगें. ऊपर से इस पूरे घटनाक्रम को लेकर मीडिया पर ठीकरा फोड़ा है.
कैमरे में कैद होने के बाद भी. शर्म आनी चाहिए आप को. इस घटना को लेकर मध्य प्रदेश के राजनीतिक दल के साथ वहां कि आवाम को भी पूछना चाहिए कि ऐसी शर्मनाक हरकत करने वालों को सरकार में रहने का क्या औचित्य है? त्रेतायुग में रावण ने अपने भाई विभीषण को लात मारकर लंका से बाहर भगा लिया था, और आज कलयुग में मंत्री साहिबा ने एक मासूम पर लात चलाई है. एक कहावत है, विनाशकाले विपरीत बुद्धि, जब विनाश का समय आता है तो बुद्धि काम करना बंद कर देती है. कुछ ऐसा ही हाल मध्यप्रदेश में देखने को मिला है. न आर्शीवाद के लिए हाथ, न करी उससे बात, बस चला दी उस मासूम पर अपनी लात.
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