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कब सुधरोगे?

एक सोंच
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कब सुधरोगे?

महिलाओं के लिए कानून और सशक्तिकरण की बात समाज में रह रहकर उठती रहती हैं। समाज में महिलाओं को पुरूष के बराबर अधिकार है। समाज में हर रोज कही न कही महिला उत्पीड़न का मामला आता रहता है। देश में महिलाओं को देवी का रूप माना जाता है। आज उसी देवी पर हर दिन अत्याचार के मामले लगातार होते रहते  हैं। जब हम अख़बार पढ़ते या खब़रिया चैनल देखते हैं तो एक ख़बर अक्सर रहती है।

महिला से दुष्कर्म किया गया। इतने सख्त कानून के बाद भी इन दरिंदों को डर नही लगता है। इनको अपने घर की मां, बेटी, बहन का ख्याल नही आता है। आएगा भी कैसे न इन्हें घर के परवाह न परिवार की इज्जत की। किसी मजबूर पर अपनी ताकत दिखाने लगते हैं।

हाल में ही पंजाब के मोगा में डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल की बस में मां और बेटी के साथ छेड़खानी की घटना सामने आई। जब उन दोनों ने इसका विरोध किया तो बस स्टाफ ने उनके साथ मारपीट की। दरिंदगी की हद तो देखों फिर उन्हे चलती बस से नीचे फेंक दिया गया। जिसमें 14 साल की नाबालिग लड़की की मौके पर ही मौत हो गई जबकि उसकी मां गंभीर हालत में अस्पताल में इलाज हो रहा है। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस बात को तो स्वीकार किया कि बदकिस्मती से बस मेरी है। लेकिन इस घटना से मेरा कोई नाता नहीं है। मेरी नजर में यह बहुत बड़ा जुर्म है। दो लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। किसी को भी इस मामले में बख्शा नहीं जाएगा।

इतना तो मुख्यमंत्री साहब ने कह दिया। पर उस परिवार से पूछों जिसकी बेटी इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी है। पूरा परिवार मातम से टूट गया है। ये पूरी घटना राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को याद दिलाने वाली है। जिसमें चलती बस में 5 हैवानों ने एक लड़की से साथ बुरी तरीके से सामुहिक दुष्कर्म किया। उसके बाद बस से नीचे फेंक दिया। जिसे लेकर देश में काफी जगह विरोध प्रदर्शन भी किया गया। ये घटनाएं देश के अधिकतर कोने में होती है।

हर दिन कभी आटो में महिला से छेड़छाड़ ते कभी कार में अगवा कर दुष्कर्म मामले आते हैं। ऐसा लगता हैं कि अब समाज में इंसान कम हैवान ज्यादा रह गए हैं। महिलाएं हर जगह अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं। दिन हो या रात बस स्टाप हो या रेलवे स्टेशन। महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं उजागर होती रहती हैं। पंजाब के मोगा इलाके में अभी छेड़छाड़ की और बस से नीचे फेकने की घटना के बाद वही पर एक और सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया।

मोगा की रहने वाली एक लड़की ने सहेली का पति आरोप लगाया कि 10 लोगों ने किडनैप करने के बाद उसके साथ गैंगरेप किया। महिला सशक्तिकरण की बात तो की जाती है पर कितनी सुरक्षित हैं ये महिलाएं। घर से निकलने के बाद परिवार के लोगों के अंदर एक डर सा बना रहता है। मां- पिता चैन की सांस तब लेते है, जब उनकी बेटी सुरक्षित वापस घर आ जाती है। चुनाव आते ही महिलाओं को अपने वोट के लिए लुभाने के लिए महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी सरकार आई तो होगी। जीतने के बाद कोई वादा किया था ये भूल जाते हैं। महिलाओं की सुरक्षा की परवाह तो छोड़ों इनके ही गुर्गें रिश्तेदार छेड़छाड़ करने लगते हैं।

जब कोई बड़ी वारदात सामने आती है, तो कई दिनों तक संसद में गूंज रहती है। नेताओं की टिप्पणी होने लगती है इस पर। कुछ दिनों में सब ठाय-ठाय फुस हो जाती है। कानून के साथ-साथ मानसिकता की भी जरूरत है देश को। लोग जब तक अपनी मानसिकता नही बदलेगें।

इन घटनाओं को आसानी से नही रोका जा सकता। विकृति मानसिकता के लोगों की मानसिकता बदलने की बहुत जरूरत है। महिला के शोषण की इन घटनाओं को देखकर मन काफी दुखित होता है। बस दिल से इक ही आवाज आती है, ये हैवानों कब सुधरोगे?

रवि श्रीवास्तव

Email- ravi21dec1987@gmail.com

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